Thursday, 25 September 2014

India Advancing in Space Technology!

With the touch of the Chandrayaan Mission in 2012, India proceed and succeeded for the Mars Mission! Technological advancement in this field is surely will consequence in the taking number one place in modern era. How we look at it as a today's generation and what will future generation of India think? One should give the positive answers to these questions. If we fail to build modern technology, we plan to fail upcoming generations in order to survive in modern civilizations. So how our children are learning science and technology that also decide whether their shoulders are capable of bearing responsibility of technological tools or not? Are they really learning new things? Are they have  spirit of inquiry around the things? Are they inculcating scientific temper or superstitions? How they are using modern tools like internet? Aren't they making fool of themselves just by handling overall control of them in the hands of modern tools(mobile, computers)?
With the advancement in technology and science , we must take care regarding to make capable our children for the future. Today's education policy, structure should be made as they should bear all the responsibility. Today we make the students superior in theories but not in practicals. Practicals are as much important as theories. One can not understand the depth of subject merely reading the text unless he has prolific mind. Handling equipments, apparatus make them very close to the subject. Observations, inferences, conclusions will make the student to construct his own theories and laws. In this way we can preserve , improve our own best capability of thought process, progressing from better to best which is only endowed to human being by the nature. We are living in an age now where we are giving complete control to technological tools. Artificial intelligence, simulations are the new techniques to overpower human qualities.
Now India's Mars Mission is successful. That will be again new beginning for us to step forward in space world. Congratulations to ISRO and to every Indian!!!

Saturday, 13 September 2014

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

आज १४ सितंबर , हमारा हिंदी दिवस!!
हिंदी दिवस के अवसर पर सभिको हार्दिक शुभकामनाएँ!हिंदी के जाने माने उपन्यास सम्राट मुन्शी प्रेमचंद के शब्दों मे युवा की परीभाषा हिंदी दिवस के उपलक्ष मे यहा पेश करना चाहुंगा.मुन्शी प्रेमचंद के शब्दों मे युवा कौन है..........
"बुजुर्गो की पहचान बुध्दी , उम्र नही, बुढे बेवकूफ भी होते है. उसी तरह जवानी की पहचान उम्र नही, कुछ और ही है.हम उसे जवान नही कहते जिसकी उम्र १८ से २५ तक हो,जो सिर से पाव तक फैशन मे सजा हो, विलासी का दास, जरुरतो का गुलाम,स्वार्थ के लिये गधे को भी बाप बनाने के लिये तयार हो. वह जवान हो या बुढा, वह मृतक है.जिससे ना जाती का उपकार हो सकता है, न देश का भला.हम उसे जवान कहते है, जो बीस का हो या चार बीस (अस्सी) का हो, पर हिम्मत का धनी, दिल का मर्द,आन पर अपने मर जाये, पर किसी का एहसान ना ले.
सिर कटा दे, झुकाये नही,जो कठीनायीयो से डरे नही, बाधाओसे बचे नही,बल्की उनमे कुद पडे.छ: महिने का सुगम मार्ग न चलकर छ: दिन का जान जोखीम का मार्ग पकडे.नदी के किनारे नाव के इंतजार मे खडा न हो, बल्की उछालती लहरो पर सवार हो जाये. नाव को सामने देखकर ठुकरा दे और अगम्य जलराशी मे कुद पडे.प्रवाह अगर पूरब की तरफ हो तो पश्चिम का रुख करे. कठीनाईयां अगर न हो तो उनकी सृष्टी करे, संतोष को आग समझे और विश्राम को विष का प्याला. जिसे संघर्ष मे विजय का आनंद प्राप्त हो, उद्योग मे साफल्य का उल्हास. युवक वह है, जो अपने उपर असीम विश्वास रखता हो, जो अकेला चना होकर भाड को फोड डालने की हिम्मत रखे.जो उपासना करे तो शक्ती की,आराधना करे तो स्फूर्ती की, जिसकी नाडीयो मे रक्त की जगह आकांक्षा हो, जो अंधरुढीयोंका शत्रू हो और जीर्ण परिपाठीका नाशक हो, जो पाखंड के पीछे हाथ धोकर पड जाये जब तक नामोनिशान न मिट जाये , चैन न ले.वह जो काम करता है उत्साह से, उमंग से, दिलोजान से करता है, बेदिली से या दुविधा मे पडकर नही. इस लिये युवक को सफलता की सीढीया चढने के लिये दूरदृष्टी रखकर संकल्प करना चाहिये. वह कठोर परिश्रम के साथ, पुर्ण अनुशासन अपनाकर, चरित्र से सुसज्जित होकर ही आदर्श युवक कहला सकता है."