Saturday, 13 September 2014

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

आज १४ सितंबर , हमारा हिंदी दिवस!!
हिंदी दिवस के अवसर पर सभिको हार्दिक शुभकामनाएँ!हिंदी के जाने माने उपन्यास सम्राट मुन्शी प्रेमचंद के शब्दों मे युवा की परीभाषा हिंदी दिवस के उपलक्ष मे यहा पेश करना चाहुंगा.मुन्शी प्रेमचंद के शब्दों मे युवा कौन है..........
"बुजुर्गो की पहचान बुध्दी , उम्र नही, बुढे बेवकूफ भी होते है. उसी तरह जवानी की पहचान उम्र नही, कुछ और ही है.हम उसे जवान नही कहते जिसकी उम्र १८ से २५ तक हो,जो सिर से पाव तक फैशन मे सजा हो, विलासी का दास, जरुरतो का गुलाम,स्वार्थ के लिये गधे को भी बाप बनाने के लिये तयार हो. वह जवान हो या बुढा, वह मृतक है.जिससे ना जाती का उपकार हो सकता है, न देश का भला.हम उसे जवान कहते है, जो बीस का हो या चार बीस (अस्सी) का हो, पर हिम्मत का धनी, दिल का मर्द,आन पर अपने मर जाये, पर किसी का एहसान ना ले.
सिर कटा दे, झुकाये नही,जो कठीनायीयो से डरे नही, बाधाओसे बचे नही,बल्की उनमे कुद पडे.छ: महिने का सुगम मार्ग न चलकर छ: दिन का जान जोखीम का मार्ग पकडे.नदी के किनारे नाव के इंतजार मे खडा न हो, बल्की उछालती लहरो पर सवार हो जाये. नाव को सामने देखकर ठुकरा दे और अगम्य जलराशी मे कुद पडे.प्रवाह अगर पूरब की तरफ हो तो पश्चिम का रुख करे. कठीनाईयां अगर न हो तो उनकी सृष्टी करे, संतोष को आग समझे और विश्राम को विष का प्याला. जिसे संघर्ष मे विजय का आनंद प्राप्त हो, उद्योग मे साफल्य का उल्हास. युवक वह है, जो अपने उपर असीम विश्वास रखता हो, जो अकेला चना होकर भाड को फोड डालने की हिम्मत रखे.जो उपासना करे तो शक्ती की,आराधना करे तो स्फूर्ती की, जिसकी नाडीयो मे रक्त की जगह आकांक्षा हो, जो अंधरुढीयोंका शत्रू हो और जीर्ण परिपाठीका नाशक हो, जो पाखंड के पीछे हाथ धोकर पड जाये जब तक नामोनिशान न मिट जाये , चैन न ले.वह जो काम करता है उत्साह से, उमंग से, दिलोजान से करता है, बेदिली से या दुविधा मे पडकर नही. इस लिये युवक को सफलता की सीढीया चढने के लिये दूरदृष्टी रखकर संकल्प करना चाहिये. वह कठोर परिश्रम के साथ, पुर्ण अनुशासन अपनाकर, चरित्र से सुसज्जित होकर ही आदर्श युवक कहला सकता है."  

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